Facebook ने कैसे, एक लाइव मरते हुए, लडके की जान बचाई.

Facebook, WhatsApp, Instagram ये सोशल मीडिया कितना ताकतवर कितना पावरफुल है, इसको बताने की मुझे आपको जरूरत नहीं है,
लेकिन इससे क्या क्या कुछ हो सकता है, ये समझने की जरूरत है,
बात लास्ट संडे की है तीन जनवरी को मुंबई में जो मुंबई की साइबर की डिप्टी कमिश्नर ऑफ़ पुलिस है रश्मी करांदिकर ये डीसीपी है साइबर सेल की मुंबई में,
रश्मी के मोबाइल पे कॉल आता है और ये कॉल आता है हिंदुस्तान से करीब पौने आठ हजार किलोमीटर दूर Ireland से,
और उस वक्त Ireland में करीब टाइम हो रहा था पौने तीन बजे का जो कि साढ़े पाँच घंटे का difference है भारत के और Ireland के time में,
और करीब पौने आठ हज़ार किलोमीटर की दूरी है मुंबई से Ireland की,
तो Sunday को रात आठ बजकर ठीक दस मिनट पर रश्मी करांदिकर DCP साइबर सेल के पास कॉल आता है.
फोन करने वाला बताता है कि मैं Ireland से बोल रहा हूँ, और Facebook के हेडक्वार्टर से बोल रहा हूँ,
और हम Facebook के जो वीडियो होते हैं, सारे जो लोग लाइव करते हैं, अपलोड करते हैं, तो बोला हम लोगों की नजर अचानक एक वीडियो पे पड़ी है,
और ये लाइव अपलोड हो रहा है, और ये जो वीडियो है, ये आपके शहर मुंबई से करीब सवा तीन सौ किलोमीटर दूरी पे एक जगह है धुले है महाराष्ट्र में,
तो हमारी नजर हमारी जो एक टेक्निकल टीम है, वो जो मॉनिटर करती है, पूरे दुनिया में जो लाइव लोग Facebook पे आते हैं, अपलोड करते हैं,
तो अचानक हमने देखा और उसमें ये दिखाई दे रहा है, कि धूलें में एक लड़का है, जिसका नाम उस बंदे का ज्ञानेश्वर पाटिल है,
तो ये ज्ञानेश्वर पाटिल लगातार रो रहा है, और इसके हाथ में रेजर ब्लेड है, और ये कुछ अपनी भाषा में बोल भी रहा है,
और ऐसा उसके हावभाव से देख कर लग रहा है, कि वो सुसाइड करने जा रहा है, और वो Facebook पे लाइव अपलोड भी कर रहा है, आप इसकी जान बचा लो.
अब Facebook हेडक्वार्टर Ireland से ये फोन मुंबई की एक डीसीपी साइबर सेल के पास आता है, और ये फोन तब आता है, जब सब कुछ ये Facebook पे शुरू हो चुका है,
अब यहाँ पे वक्त सबसे नाजुक और अहम चीज है क्योंकि उधर लाइव चल रहा है, वो मरने जा रहा है, और Facebook की टीम मुंबई पुलिस से कहती है कि अब आप उसे बचाएं,
डीसीपी रश्मी को जब ये जानकारी मिलती है, फौरन अपने अफसरों से वो उसी वक्त बात करती है, और उसके बाद जो डिटेल मिला था वहाँ से Facebook एकाउंट के जरिए वो उन लोगों को देती है,
और कहती है फटाफट इसका एड्रेस चेक चेक करो अब उसका एड्रेस चेक होता है धूलें में ही एक सोसाइटी थी पता चलता है कि ये वहाँ का है,
लेकिन एक्जेट एड्रेस चाहिए था, ये नहीं कि ये शहर या ये मोहल्ला किस में क्या number है उसका,
क्योंकि तभी police वहाँ पहुँच सकती थी, और वक्त यहाँ भागता जा रहा था, पूरी टीम लग गई इनकी टेक्निकल टीम साइबर सेल की पता करने के लिए कि ज्ञानेश्वर पाटिल का घर धुले में कहाँ पे है,
मतलब आंधी तूफ़ान की तरह काम हो रहा है, इस दौरान में डीसीपी रश्मी ने जो इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस थे उनको भी मैसेज दिया,
और जो नासिक के एसपी थे मिस्टर चिनमय पंडित उनको भी मैसेज दिया कि ऐसे ऐसे Facebook से ये इनफार्मेशन आई है, और एक शख्स Facebook पर बैठकर ही लाइव सुसाइड करने जा रहा है,
टेक्निकल सर्विलंस टीम ने फौरन आनन फानन में Facebook के उस दिए हुए अकाउंट और उसके जरिए उसका पता करना शुरू किया,
पता करते करते आखिरकार पता चल गया कि धुले के एक घर में जिसका नंबर ये है, यहाँ पे ज्ञानेश्वर पाटिल रहता है,
जैसे ही ये पता चला नासिक के एसपी और आईजीपी इन सबकी मदद से और यहाँ मुंबई में साइबर सेल की निगरानी में लोकल पुलिस की टीम को आगाह किया जाता है कि वक्त से पहले वहाँ पहुँचे,
इस दौरान में आठ बज के दस मिनट पर फोन आया था, पंद्रह मिनट में पूरी सर्विलांस टीम लगी हुई थी करीब आठ बज के पच्चीस मिनट हो गया,
लेकिन ये पता चल गया कि सोसाइटी क्या है, लेकिन घर नहीं मालूम उस घर को ढूंढने में और करीब दस पंद्रह मिनट बीत गए, लगभग फोन आए हुए अब आधे घंटे के उससे ऊपर का टाइम हो गया,
और ये भी पता नहीं कि क्या हो रहा है और वो बचा भी है कि नहीं, क्योंकि लाइव में वो कितना बोलेगा कितना करेगा क्या करने जा रहा है, कुछ आईडिया नहीं, एक एक मिनट कीमती था,
आखिर जब वो एक्सट पता मिला जहाँ से ये Facebook लाइव चल रहा था, लोकल पुलिस की टीम आनन फानन में उन्हें ये भी पता था एम्बुलेंस को भी तैयार रखा गया,
और उस घर में पहुँचती है जैसे ही वो घर में पहुँचती है, उस वक्त टाइम हुआ था नौ बजे यानि आठ बज के दस मिनट पे कॉल आया था कुल पचास मिनट लगे,
जो पुलिस की टीम थी, वो उस घर में पहुँचती है, और जब वो के अंदर दाखिल होती है, तो एक लड़का Facebook लाइव पे बैठा हुआ है, उसके हाथ के नस कटे हुए हैं, गले में भी थोड़ा कट है,
लेकिन कट बहुत ज्यादा डीप नहीं था, लेकिन ब्लीडिंग हो रही थी, खून गिर रहा था, और वो तब भी लाइव था,
आनन फानन में पुलिस उसको अपने काबू में लेती है, और बहुत तेजी के साथ नजदीक के सरकारी अस्पताल में ले जाती है, वहाँ उसे भर्ती कराया जाता है,
रात तक उसकी हालत ठीक नहीं थी, लेकिन फिर मंडे को डॉक्टर उसे खतरे के बाहर डिक्लेअर करते हैं और कहते हैं, और मंडे की रात को उसको डिस्चार्ज कर दिया जाता है,
मुंबई की टीम उससे पहले धुले की टीम मुंबई की साइबर सेल को, फिर साइबर सेल की टीम Ireland की उस Facebook टीम को, सभी एक दूसरे को शुक्रिया कहते हैं,
अब जान बच गई इसके बाद की पूरी कहानी क्या थी.
ज्ञानेश्वर पाटिल महाराष्ट्र के ही धुले में तैनात होमगार्ड उनका बेटा, 23 साल की उम्र, कॉलेज बीच में ही पढ़ाई इसने छोड़ दी,
और इससे पहले भी एक दो बार उसने सुसाइड की कोशिश की थी, और उस दिन वो अपने लगभग होश में नहीं था, ऐसा लगता था जैसे उसने कुछ लिया है, कुछ पिया है, और कंट्रोल में नहीं है,
और Facebook पर वो लगातार बैठकर रो रहा था, और मराठी में अपनी जिंदगी की दुःख भरी कहानियां सुना रहा था, और साथ में हाथ में ब्लेड लिया हुआ था,
और वो बीच बीच में बोलता जाता कि अब मैं मरने जा रहा हूँ, और वो काटता जाता लेकिन कहीं ना कहीं थोड़ी सी दर्द और तकलीफ का भी एहसास था, तो बहुत डीप कट के मार्क नहीं आ रहे थे,
तो यही वजह थी कि डीप कट के मार्क नहीं थे, तो उसकी जान बच गई वरना फोन आने और पुलिस के वहाँ तक पहुँचने में पचास मिनट का वक्त लगा, टोटल इन पचास मिनट में इतनी ब्लीडिंग होती कि जान बचने की कोई गुंजाइश नहीं थी,
वहाँ के एसपी जो है नासिक के उन्होंने बाकायदा उनकी फैमिली से बात करके कि इसके दुःख गम जो भी इसके दिमाग में चल रहा है उसको दूर करने के लिए इसको जॉब देने की भी बात की है,
ऊपर वाले से ये दुआ उसकी नौकरी लग जाए और दिमाग से उसकी नेगेटिव चीजें निकल जाए,
खुदकुशी किसी भी चीज का हल नहीं है, और ऊपर वाले ने जो सबसे खूबसूरत चीज दी है, वो जिंदगी है एक खूबसूरत नेहमत है, तो अगर हम किसी को जान दे नहीं सकते, किसी की जान बचा नहीं सकते, तो जान लेने का भी हक नहीं है, तो जो चीज ऊपर वाले ने दी है उसको वैसे ही छोड़नी चाहिए हम उसको लेने का अधिकार ये हक हमारा नहीं है, जिंदगी अनमोल है इसकी कदर करनी चाहिए।
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